मनुष्य में अद्भुत शक्ति है, वह रो भी सकता है और हँस भी सकता हैI परिस्थितियाँ तो निर्माण होती हैं, उनका प्रभाव पड़ता है परंतु उनका कितना प्रभाव उस पर पड़े यह मनुष्य स्वयं नियंत्रित कर सकता हैI सतत प्रसन्न रहना एक कला हैI यह कला हर व्यक्ति को आती है, परंतु हम विस्मित हो गए हैंI हम अपना स्वरूप भूल गए हैंI
यह पुस्तक आपको अपने मूल रूप में स्थापित करने का प्रयास है; जिसके द्वारा आप सतत प्रसन्न रह सकते हैंI कोई भी परिस्थिति आपको विचलित नहीं कर सकती है; यह अहसास आपको सदैव रहे; यही मेरी कामना हैI मेरी अन्य पुस्तकें अंग्रेजी में ‘हैप्पीनेस 24/7’, ‘कृष्ण दी सुपर कॉन्शसनेस’ और हिंदी में ‘दादी के बोल’ भी आप पढ़ें और लाभान्वित हों; यह अपेक्षा रखते हुए आपके सहयोग के लिए धन्यवादI
मैं सतत प्रसन्न हू1 प्यार इसका राज और ज्ञान इसका संबल है
₹199.00 GST
Dimensions | 5.5 × 8.5 in |
---|---|
LAMINATION | Gloss |
BINDING | Paperback |
PAGE COUNT | 180 |
ISBN | 9789388573689 |
Be the first to review “मैं सतत प्रसन्न हू1 प्यार इसका राज और ज्ञान इसका संबल है” Cancel reply
You must be logged in to post a review.
Login with your Social ID
- FacebookLinkedinGoogle
Related products
Fiction
₹299.00
Fiction
₹199.00
Fiction
₹99.00
Fiction
₹149.00
Fiction
₹199.00
Fiction
₹250.00
Fiction
₹349.00
Fiction
₹199.00
Reviews
There are no reviews yet.