भारत की आध्यात्मिक पुस्तकों में गीता का विशेष स्थान है जैसाकि सर्वविदित है। अमेरिका आने पर लेखक ने पाया कि गीता के दर्जनों अंग्रेजी अनुवाद हैं जिनमें से कुछ काव्य में भी हैं। उन्हें लगा कि हिन्दी में गीता के पद्यानुवादों की बड़ी कमी है। यह अनुवाद इस कमी की पूर्ति का एक प्रयास है।
आधुनिक हिन्दी भाषियों में ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है जिन्हें संस्कृत का इतना ज्ञान हो कि मूल को समझ सकें। पद्यानुवाद से न केवल अर्थ समझने अपितु पंक्तियों को याद रखने में भी सुविधा होगी। बहुत से साधक गीता की पंक्तियों का प्रयोग ध्यान में करते हैं। आशा है उनके लिए भी यह अनुवाद विशेष उपयोगी होगा।
अनुवाद की भाषा जहाँ तक सम्भव हुआ है, सरल रखी गई है। गीता में प्रयुक्त संस्कृत शब्दों को, जो हिन्दी में भी आमतौर से प्रयुक्त होते हैं, वैसे ही ले लिया गया है। प्रयास किया गया है कि अनुवाद में गीताकार का ही अर्थ लोगों तक पहुँचाया जाए न कि अनुवादक का मत। आशा है कि भारतीय जन-साधारण इस अनुवाद को अपनाएगा क्योंकि यह उन्हीं के लिए लिखा गया है, विद्वानों के लिए नहीं।
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